सुरेश अपने कमरे से बाहर झांकता है तो उसे दूर दूर तक मन को शांत कर देने वाली हरियाली दिखाई देती है घास के मैदान उसके मन को शांति से भर देते हैं इतने में ही उसे एक कॉल आता है जिसे सुनने के बाद उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं दूसरे तरफ से सुरेश की आवाज ही थी जो उससे बात कर रही थी सुरेश की समझ में कुछ भी नहीं आता वहां से आवाज आ रही थी कि घास के मैदान में मत जाना सुरेश डर से कॉल को काट देता है अगले ही पल उसे घास से एक बच्चे की आवाज आती है जो उसे मदद के लिए बुला रहे थे सुरेश जब घास के अंदर जाता है तो उसे हैरानी होती है वहां पर एक टाइम मशीन थी और वो बच्चा भी वहां से गायब था सुरेश बिना सोचे समझे उस मशीन में बैठ जाता है और पास्ट में सितंबर 2017 में पहुंच जाता है यह वही दिन था जब उसे मानसिक बीमारी बायपोलर डिसऑर्डर हुआ था वह अपने गाँव से दूर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एक शहर में आया था सुरेश वहां जाकर दूसरे सुरेश को कुछ नोट्स देता है जिनमे लिखा था तुरंत अपने गाँव निकल जाओ लेकिन पास्ट वाले सुरेश को यह अपने पड़ोसी के बच्चों की शरारतें लगती है और वो उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता फ्यूचर से आया सुरेश अब उसके नंबर पर कॉल करता है कि तुम तुरंत अपने गाँव चले जाओ यह जगह तुम्हारे लिए खतरनाक है
पास्ट वाला सुरेश इस बात से डर जाता है और कॉल काट देता है सुरेश तुरंत अपना समान पैक करके अपने गाँव चले आया उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड दी और उस घटना को समझने के लिए टाइम मशीन पर काम करने लगा गाँव में उसने टाइम मशीन नहीं बना पाया दुसरा सुरेश जब उसी दिन टाइम ट्रैवेल करके वापिस उसी दिन आता है तो वह घास के मैदान में उस मशीन को छुपा देता है फ्यूचर वाला सुरेश वर्तमान में उसी दिन वहां दूसरे सुरेश को पाता है उसी समय फ्यूचर वाला सुरेश उसे कॉल करता है और घास के मैदान में जाने से मना करता है क्यों की ये वही दिन था जब सुरेश अपने पास्ट को बदलने गया था अब सुरेश का पास्ट बदला जा चुका है इसलिए सुरेश उसे टाइम मशीन से दूर रखना चाहता है लेकिन पास्ट वाला सुरेश अपने साथ हुई इस घटना को समझना चाहता है इसलिए वह उस कॉल के बाद भी अपने पास्ट में उसी दिन जाता है और पास्ट वाले सुरेश को तुरंत घर जाने का नोट्स देता है पास्ट वाले सुरेश को यह मज़ाक लगता है और वो उसे नजर अंदाज कर देता है अभी फ्यूचर का सुरेश उसे कॉल करके तुरंत गाँव जाने को कहता है पास्ट का सुरेश तुरंत गाँव जाने के लिए तैयार हो जाता है गाँव में आकर वह भी टाइम मशीन पर काम करता है और टाइम मशीन भी बना देता है वह उस दिन की घटना को समझने के लिए पास्ट मे जाने की सोचता है यह वही दिन होता है जब सुरेश पहली बार पास्ट को बदलने की सोचता है यह एक अंतहीन चक्र बन जाता है.

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