मैं संघर्ष की एक लकीर खिंच रहा हूं उसे प्रतिदिन पानी से सिंच रहा हूं मेरा मन तो समुद्री सा शांत है लगता है उन लहरों को कोई चांद अपनी और खिंच रहा है मेरी खिंची गई लकीर अब एक खड्डा बन गई है सब …
मैं हमेशा एक जगह बैठा रहता हूं कोई विचार नहीं कोई तरंग नहीं मैं चुप चाप बस देखता हूं खुद की हकीकत को दुनिया की शोहरत को और दुख मय जीवन को मुझ से कोई पूछता भी नहीं मैं किसी को बताना भी नहीं चा…
एक सफर जो अधूरे सपनों तक जाता है मैं हर दिन संघर्ष करता हूं उन सपनों को सफर की मंजिल तक पहुंचाने की उनके लिए एक एक पल जीता हूं फिर सब कुछ भूल कर काम पर चल देता हूं काम कुछ मेहनत का नहीं है मेरा …
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