AFTER LIFE — अध्याय 1
“सपनों में निर्मित मृत्यु”
( आज से 1 मिलियन ईयर बाद, धरती पर केवल 7 लोग मानव-रोबोटिक हाइब्रिड (मानव-यांत्रिक जीव) हैं — और सभी इंसान।)
एक मिलियन साल बाद धरती शांत थी।
इतनी शांत कि हवा भी बिना आवाज़ के चलती थी।
समुद्र सिमटकर बर्फ की चादर में बदल चुके थे, आसमान और सूर्य का रंग फीका पड़ चुका था।
धरती पर अब बहुत कम जीवित प्राणी बचे थे उनमें से 7 मानव-यांत्रिक जीव थे —
वे थे:
2 नेता (Leaders)
2 मनोचिकित्सक (Psychiatrists)
1 मनोविज्ञानी Therapist
1 जादूगर Magicians (illusion-scientists)
1 आध्यात्मिक गुरु
सातों के दिमाग में चिप लगी हुई थी। इन रोबोटिक-मानवों में नैनो-बॉट्स लगे थे। बीमारी का सवाल ही नहीं था।
घाव हो जाए, कोई chemical imbalance (रासायनिक असंतुलन) हो —
nano-bots(नैनो-बॉट्स) एक सेकंड में सब ठीक कर देते थे। बीमारी चली गई थी। लेकिन जिज्ञासा नहीं।
और सातों को सिर्फ एक सवाल सताता था —
क्या आफ्टर लाइफ (After Life) सच है?
या यह सिर्फ मानव-कथा है?
सातों मानव-यांत्रिक जीवों ने वर्षों के शोध के बाद
एक ऐसी अद्भुत और खतरनाक मशीन तैयार की थी,
जिसका नाम उन्होंने रखा था—
“ड्रीम-लिंक आफ्टरलाइफ सिम्युलेटर”
(स्वप्न–बंधन मृत्यु–उत्तर अनुकरण यंत्र)
(DLAS — डिलास)
यह दुनिया की पहली ऐसी डिवाइस थी
जो किसी भी मानव-यांत्रिक जीव और मानव के सपनों में प्रवेश कर सकती थी, उसकी चेतना को अपने नियंत्रण में ले सकती थी, और फिर उसके भीतर एक नकली आफ्टर लाइफ तैयार कर सकती थी।
सातों लोग अपनी चेतना-तरंगों को जोड़कर
उस व्यक्ति के सपने में उतरते थे
जिस पर परीक्षण किया जा रहा होता।
उनकी संयुक्त चेतना मिलकर
एक काल्पनिक आफ्टर लाइफ रचती थी —
ऐसा दृश्य, ऐसी दुनिया, ऐसे अनुभव
जो असली लगें, जो मृत्यु की सीढ़ी पार कर आने जैसा अहसास दें।
यह सिर्फ भ्रम नहीं था —
यह engineered illusion (इंजीनियर भ्रम) था।
इस डिवाइस का सबसे खतरनाक हिस्सा था—
“Shared Consciousness Field (साझा चेतना क्षेत्र)”
जिसमें सभी सातों की सोच, भावनाएँ और विजुअल
एक ही सपने में मर्ज होकर एक जीवित, साँस लेती हुई
(After Life Reality) आफ्टर लाइफ की वास्तविकता बनाती थीं।
और जिस मनुष्य पर टेस्ट करना होता…
उसे यह सब एकदम सच लगता था।
वह महसूस करता—
जैसे वह मर चुका है,
जैसे उसका शरीर छूट चुका है,
जैसे उसकी चेतना किसी दूसरी दुनिया में भटक रही है,
और फिर वहाँ से वापस लौट आई है।
पहला उद्देश्य था:
क्या मृत्यु सिर्फ एक भ्रम है?
या चेतना वास्तव में कहीं जाती है?
सातों को पता था कि
अगर कोई भी मानव जीव इस simulated Afterlife (सिमुलेटेड आफ्टर लाइफ) में अपनी इच्छानुसार आगे बढ़ सके —
तो इसका मतलब होगा कि चेतना शरीर से अलग होकर
स्वतंत्र रूप से सोच सकती है। और यही After Life (आफ्टर लाइफ) का सबसे बड़ा रहस्य था।
DLAS का सक्रिय होना
कमरे के मध्य स्थित गोले में हल्की नीली रोशनी फैलने लगी। सातों लोग अपनी जगहों पर बैठे। उनके सिर से जुड़े संवेदनशील neural-chip (तंत्रिका चिप) कि मदद से वे सातों लोग एक आफ्टर लाइफ की ड्रीम वास्तविकता बनाती है। थोड़ी ही देर में सातों की चेतना frequency (आवृत्ति) एक जैसी होने लगी।
अब प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण शुरू होता था —
जिस भी मनुष्य या मानव–यांत्रिक जीव को मृत्यु–उपरांत जगत का अनुभव कराना होता, सबसे पहले उसके मस्तिष्क में एक विशेष तंत्रिका-चिप लगाई जाती थी।
इस चिप को वे "आत्म-संयोजक कणिकायंत्र” कहते थे।
चिप लगने के बाद उस व्यक्ति की चेतना-तरंगें धीरे-धीरे सातों मानव रोबोट जीवों की संयुक्त चेतना से मेल खाने लगती।
सातों की सामूहिक चेतना– सपनों की दुनिया में
प्रवेश कर जाता था।
वह सचमुच शारीरिक रूप से कहीं नहीं जाता था,
पर उसके सपनों की दुनिया पूरी तरह बदल जाती थी।
उसके स्वप्न अब “उसके” नहीं रहते, बल्कि सातों मानव-यांत्रिक जीवों के संयुक्त स्वप्न बन जाते।
और तब — आफ्टर लाइफ की शुरुआत होती।
जैसे ही उस व्यक्ति का मन सातों की आवृत्ति से जुड़ जाता, उसके स्वप्न के भीतर आफ्टर लाइफ का भ्रम
तेज़ी से बनाया जाता जिसे वे सातों मानव-यांत्रिक जीव नियंत्रित करते थे।
पहले प्रकाश उभरता, फिर ध्वनि, फिर आकार, फिर एक पूरी दुनिया…
वह महसूस करता—
“मैं वहाँ हूँ…
जहाँ मृत्यु के बाद पहुँचा जाता है।”
यह भ्रम इतना शक्तिशाली होता
कि उसकी चेतना वास्तविकता और स्वप्न के बीच
अंतर करना बंद कर देती।
उसे लगता—
वह सचमुच मर चुका है।
उसका शरीर छूट चुका है।
और अब वह किसी अदृश्य लोक में तैर रहा है।
-अरुण चमियाल

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